खोरठा कविता - दिल के चांद |
Khortha poem - Dil Ke Chand
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Khortha poem |
कविता - दिल के चांद
ऊपर से गिरेला झरना के
पानी जैसन तोर केश
अन्हरा में चिरका जैसन
चमके तोर रूपवा टेस
कान के कनबाली के हिलोर
शोर करे जैसे पंछी हरेवा
कार काजर से सजल तोर
दुनु अंखियां हो जानलेवा
कतना नाजुक हो चैल
मीठ बोली के तोय कोयल
जंचो हो रंग बिरंगी चूड़ी
दिल धड़कावे गोड़ के पायल
दोसर आर कोय मोती ई दुनिया में
न होतय तोर छोड़ाय के
मन करो है सरगा के पुइंछ के
ले जिअय ई चंदा चोराय के