खोरठा कविता – बेटी एक पराया धन| Khortha poem – Beti Ek Paraya Dhan| खोरठा कविता संग्रह New 2023
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Khortha poem

⬇️⬇️⬇️ कविता – बेटी एक पराया धन |
उ जे आंगन के फूल हलअ
घरा जकर से महको हलअ
उड़ल जाइप करे हअ उ पंछी
घरा जकर से चहको हलअ
एक आर्ते से जे खेललअ गोदी में
आज उ चलल जाइप करी हअ
एको बात कहेक हिम्मत नाय बुझाय
अंखियां भरल जाइप करी हअ
कुछ ही देर में कोश दूर चइल जितअ
कुछ ही देर में गड़िया निकइल जितअ
फिर जकर बिना नाय लागो हलअ मना
ओकर बिना मना कैसे बहइल जितअ
आज कुछ कइह भी न सके हियअ
चुपचाप जे आज के समइये हअ
बेटी तो पराया धन हकअ सच है
दोसर के घर तो जाना हइये हअ