Khortha poem
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कविता - गाछKavita- Gachh
हरियर हरियर गाछ हरियर हरियर पात हरियर हरियर हरियाली रहतय एके साथ
कैट कैट के नाय बिगाड़ गाछ बिरिछ बोन झाड़ येहे हको हवा आर दाना पानी के जोगाड़
छांव दतो छप्पर दतो आरो झुरी काठी कटेल छटेल नाय दतो बचैतो गाछ माटी
साब जरूरत के खजाना हकै भंडार हकै दवाय के तो गाछ राखियों बचाय के गाछ तोरा राखतो बचाय के |